Monday, December 21, 2015

बरमूडा ट्राइएंगल में गायब हुए हैं हजारों लोग और कई हवाई जहाज; चौंकाने वाले तथ्य

बरमूडा त्रिकोण (ट्राइएंगल) आधुनिक युग का एक बड़ा अनसुलझा रहस्य है। इसे दानवी त्रिकोण (डेविल्‍स ट्राइएंगल) भी कहा जाता है। यह त्रिकोणीय रहस्यमयी जलक्षेत्र बरमूडा द्वीप से मियामी, संयुक्त राज्य अमेरिका और पर्टो रीको तक उत्तरी अटलांटिक महासागर में स्थित है। इस क्षेत्र में अब तक हज़ारों लोग, कई विमान और जहाज़, संदिग्ध रूप से लापता हुए हैं। सैकड़ों सालों से यह त्रिकोणीय क्षेत्र वैज्ञानिकों, खोजकर्ताओं और इतिहासकारों के लिए भी रहस्य का केंद्र बना हुआ है। हम यहां आज आपको बताने जा रहे हैं रहस्यमयी बरमूडा ट्राइएंगल से जुड़े रोचक तथ्यों के बारे में जिनसे आप शायद ही परिचित हो।

1. विशाल क्षेत्र में फैला है बरमूडा ट्राइएंगल

बरमूडा ट्राइएंगल करीब 440,000 मील तक के समुद्री क्षेत्र में फैला हुआ है। राजस्थान, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के क्षेत्रों को मिला दे तो भी इसकी तुलना में यह क्षेत्र अधिक विस्तृत होगा।

2. त्रिकोणीय क्षेत्र के बहार भी पड़ता है प्रभाव

यह त्रिकोण निश्चित रूप से एक ही जगह स्थिर नहीं है। इसका प्रभाव त्रिकोण क्षेत्र के बाहर भी महसूस किया जा सकता है।



3. UFO और एलियन गतिविधियों से भी जोड़े जाते हैं घटनाओं के तार

कुछ लोग यहां हो रही रहस्यमय घटनाओं के पीछे UFO और एलियन गतिविधियों को ज़िम्मेदार मानते हैं। कहा यह तक जाता है कि बरमूडा ट्राइएंगल धरती से हज़ारों किलोमीटर दूर बसे हुए एलियनों का एक पोर्टल है। यह भी माना जाता है कि इस क्षेत्र में टाइम जोन पर रिसर्च के लिए अमेरिका की एक बहुत बड़ी गोपनीय प्रयोगशाला है, जहां एलियन से जुड़ी रिसर्च की जाती हैं।



4. सैकड़ों विमान और जहाज़ हुए हैं लापता, गई है हज़ारों जानें

बीते 100 सालों में यहां हज़ारों लोगों की जान गई है। एक आंकड़े में यह तथ्य सामने आया है कि यहां हर साल औसतन 4 हवाई जहाज़ और 20 समुद्री जहाज़ रहस्यमयी तरीके से गायब होते हैं।




5. 1945 में अमेरिका के कई बमवर्षक विमान हुए बरमूडा ट्राइएंगल में गायब

1945 में अमेरिका के पांच टारपीडो बमवर्षक विमानों के दस्ते ने 14 लोगों के साथ फोर्ट लोडअरडेल से इस त्रिकोणीय क्षेत्र के ऊपर से उड़ान भरी थी। यात्रा के लगभग 90 मिनट बाद रेडियो ऑपरेटरों को सिग्नल मिला कि कम्पास काम नहीं कर रहा है। उसके तुरंत बाद संपर्क टूट गया और उन विमानों में मौजूद लोग कभी वापस नहीं लौटे। उनके बचाव कार्य में गए तीन विमानों का भी कोई नामों-निशान नहीं मिला। शोधकर्ताओं का मानना है कि यहां समुद्र के इस भाग में एक शक्तिशाली चुम्बकीय क्षेत्र होने के कारण जहाज़ों में लगे उपकरण काम करना बंद कर देते हैं। जिस कारण जहाज़ रास्ता भटक जाते हैं और दुर्घटना का शिकार हो जाते हैंं।




6. कोलंबस का हुआ था सामना बरमूडा ट्राइएंगल से

बरमूडा ट्राइएंगल के बारे में सबसे पहले सूचना देने वाले क्रिस्टोफर कोलंबस ही थे। कोलंबस ही वह पहले शख्स थे जिनका सामना बरमूडा ट्राइएंगल से हुआ था। उन्होंने अपनी पत्रिकाओं में इस त्रिकोण में होने वाली गतिविधियों का ज़िक्र करते हुए लिखा है कि जैसे ही वह बरमूडा त्रिकोण के पास पहुंचे, उनके कम्पास (दिशा बताने वाला यंत्र) ने काम करना बंद कर दिया। इसके बाद क्रिस्टोफर कोलंबस को आसमान में एक रहस्यमयी आग का गोला दिखाई दिया, जो सीधा जाकर समुद्र में गिर गया


7. गल्फ स्ट्रीम हो सकती है दुर्घटनाओं की एक वजह

जब भी यहां कोई जहाज़ या विमान अदृश्य होता है, उसका मलबा नहीं मिलता। इसका एक कारण इस क्षेत्र में चलने वाली शक्तिशाली गल्फ स्ट्रीम भी हो सकती हैं। यह गल्फ स्ट्रीम मैक्सिको की खाड़ी से निकलकर फ्लोरिडा के जलडमरू से उत्तरी अटलांटिक तक जाती हैं, जो अपने साथ सारा मलबा उठा ले जाती है। यह गल्फ स्ट्रीम असल में समुद्र के अंदर नदी की तरह होती हैं। इसके तेज़ बहाव में जहाजों के डूबने की संभावना रहती है।




8. इलेक्ट्रॉनिक फॉग जिसे माना जाता है टाइम जोन का एक छोर

लोगों ने इस त्रिकोणीय क्षेत्र में इलेक्ट्रॉनिक फॉग का अनुभव किया है। इलेक्ट्रॉनिक फॉग यानी कि बादल और समुद्र के बीच उठने वाला बबंडर।  इस इलेक्ट्रॉनिक फॉग को कुछ जानकार एक टाइम जोन से दूसरे में जाने का ज़रिया भी मानते हैं। पायलट ब्रूस गेर्नों के अनुसार वो 28 मिनट तक यहां बादलों रूपी सुरंग में गायब होने के स्थिति में रहे। उनका विमान रडार से गायब था। उनसे कोई रडार भी संपर्क नहीं कर पा रहा था। फिर कुछ देर बाद वह मियामी बीच के पास पहुंचकर स्थिर हुए।



9. समुद्र तल में भारी मात्रा में मीथेन गैस भी हो सकती है दुर्घटनाओं का कारण

अमेरिकी भौ‍गोलिक सवेक्षण के अनुसार बरमूडा की समुद्र तलहटी में ‘मीथेन हाइड्रेट’ नामक रसायन का विशाल भंडार मौजूद है। समुद्र में बनने वाला यह हाइड्राइट जब अचानक ही फटता है, तो अपने आसपास की सभी चीज़ों को चपेट में ले सकता है। ऐसे में कई वैज्ञानिकों का मानना है कि जब भी यह हाइड्रेट फटता है, तो इससे उठने वाले बुलबुले पानी के घनत्व में कमी लाकर जहाज़ को डुबो देने की क्षमता रखतेहै

10. डेंजर जोन घोषित

जब दो साल में 700 से भी ज्यादा नाविकों की मौत हो गई तो इस त्रिकोणीय क्षेत्र को 1950 में डेंजर जोन घोषित कर दिया गया।


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